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रचना है इतिहास अगर तो संघर्ष से कर लो यारी…

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जीवन मे यदि कुछ करना चाहते हो गेन।
तो निश्चित रूप से आपको सहना होगा पेन।।
मुंह फेरा अगर संघर्ष से, लक्ष्य हो जायेगा ड्रेन।
कोई और विकल्प नही, सिवाय सहने के पेन ।।
प्रकृति का ये अटल नियम है, सब नियमों पर भारी।
रचना है इतिहास अगर तो संघर्ष से कर लो यारी।।

संघर्ष जीवन में न तो व्यर्थ आता है और न ही किसी के द्वारा किया गया संघर्ष कभी व्यर्थ ही जाता है। आपके जीवन में संघर्ष कभी भी बिना वज़ह नही आता । आपके द्वारा देखे जाने वाले हर सपने के साकार होने के पीछे संघर्ष की अहम भूमिका होती है । इस दुनियॉ में मुफ्त में कुछ भी नही मिलता । सपनें सिर्फ देखने से ही पूरे नही होते । हर सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है । आपके जीवन में प्रवेश करने वाले संघर्ष की तीव्रता व अवधि आपके लक्ष्य व सपनों के आकार पर निर्धारित होती है । जितना बड़ा सपना, उनता बड़ा संघर्ष। उतनी अधिक तीवत्रा। बड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए लड़ाई भी बड़ी लड़नी पड़ती है । इसके साथ-साथ बड़ी सोच, अधिक धैर्य, विश्वास व दृढ़ता की भी आवश्यकता होती है । इसके अतिरिक्त कोई और विकल्प, कोई और शौर्ट-कट जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कारगर सिद्ध नही होता । इस सारी प्रक्रिया में आपका विश्वास आपके व लक्ष्य के बीच की बड़ी से भी बड़ी खाई को आसानी से पाटने का काम करता है । इसके विपरीत, तनिक भी अविश्वास सफलता के मार्ग में बहुत बड़ी कमजोरी व बांधा साबित हो सकता है। आपका अविश्वास लक्ष्य को असंभव बना देता है ।

निःसंदेह, संघर्ष आपके जीवन में किसी न किसी वजह से प्रवेश करता हैं। बरहाल, वजह कोई भी हो, संघर्ष का उद्देश्य कभी भी आपको तोड़ना नही होता, वरन् संघर्ष का उद्देश्य आपको, आपसे जोड़ना होता है। आपको पहले से अधिक मजबूत बनाना होता है। आपके भीतर पहले से अधिक विश्वास जागृत करना होता है। यहां यह कहना गलत न होगा कि कोई भी संघर्ष आपके जीवन में दस गुणा या उससे अधिक सुख-समृद्धि (Prosperity) की संभावना के साथ प्रवेश करता है । जिसको हम मोटिवेशन की भाषा में PaC (Prosperity after Crisis) कहते हैं ।


कहने को तात्पर्य यह है कि आपके जीवन में आया हुआ संघर्ष जितना आपसे लेता है, जितनी आपको तकलीफ देता है, उससे दस गुणा या कहीं अधिक खुशियां और सुख-सुमृद्धि आपको दे कर जाता है। इसलिए कहा गया है कि संघर्ष से मुंह न मोड़िये; इससे नाता जोड़िये।

वास्तविक सुख-समृद्धि किसी भी व्यक्ति के जीवन में संकट का डट कर सामना करने व इससे एक विजेता के रूप में उभरने के पश्चात ही आती है । जैसे कि-

एक झांझा (caterpillar) अपने खोल (cocoon) से निकलने के बाद ही तितली में परिवर्तित हो पाता है ।

कोयला लम्बे समय तक खान में दबे रहने के पश्चात् और बहुत अधिक प्रेशर झेलने के बाद ही हीरे में परिवर्तित हो
पाता है।

हीरा अनगिनत चोटें खाने के पश्चात् ही एक अच्छी और आकर्षक आकृति ले पाता है ।

सोना तेज ऑच में तप कर ही कंचन चमक व मनचाही आकृति पाता है ।

एक पत्थर जब तक हथौड़े की अनगिनत चोटें न खा ले, भगवान की मूर्ति में परिवर्तित नही हो पाता है ।

क्षीर सागर मंथन के पश्चात ही इससे अमृत निकल पाया था ।

श्रीमद् भगवत् गीता का ज्ञान महाभारत युद्ध आरम्भ होने के पश्चात ही प्राप्त हो पाया था ।

तो फिर क्या सोच रहे हैं आप? क्या आप भी जीवन में सफल बनना चाहते है ? यदि हॉं, तो दो बातें अवश्य याद रखें-

पहली ये, कि अभी इसी समय से खुद को सफल व्यक्ति समझना शुरू कर दें।

और दूसरा ये, कि जीवन मार्ग में जो भी संघर्ष आए, खुले हृदय से सहर्ष स्वीकार करते चले।

आपके मस्तिष्क में यदि अभी भी किसी प्रकार की शंका (doubt) है, आप कुछ रियायत (concession) की उम्मीद करते है, तो आप गलत है । सफलता के मार्ग पर संघर्ष के मामले में किसी भी प्रकार की रियायत (concession) या कटौती (discount) की उम्मीद रखना बिल्कुल व्यर्थ है।

Excerpted from: अपनी जीत सुनिश्चित करें, written by Inder Arora-Motivational Speaker

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