राष्ट्रपति मुर्मू ने देहरादून में राष्ट्रपति तपोवन और निकेतन का किया उद्घाटन; समावेशिता, सुगम्यता और पारिस्थितिक संतुलन पर दिया विशेष जोर

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देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देहरादून में राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन का औपचारिक उद्घाटन किया। यह पहल न केवल समावेशी विकास की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि पारिस्थितिकी संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। इस अवसर पर उन्होंने आगंतुक सुविधा केंद्र, कैफेटेरिया, स्मारिका दुकान जैसी कई नई सार्वजनिक सुविधाओं का लोकार्पण किया और प्रस्तावित राष्ट्रपति उद्यान की आधारशिला रखी, जिसे एक मॉडल सार्वजनिक पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा।

अपने जन्मदिन के अवसर पर, राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण संस्थान (NIEPVD) का भी दौरा किया। उन्होंने छात्रों से संवाद किया, विज्ञान और कंप्यूटर लैब का अवलोकन किया और छात्रों के नवाचारों की प्रदर्शनी देखी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “किसी समाज की प्रगति इस बात से आंकी जाती है कि वह अपने दिव्यांग नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है।” उन्होंने भारत की करुणा और समावेश की सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित किया और ‘सुगम्य भारत अभियान’ के तहत केंद्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की सराहना की।

उन्होंने यह भी कहा कि तेज़ी से विकसित होती तकनीक, दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में लाने की अद्भुत क्षमता रखती है। उन्होंने NIEPVD द्वारा तकनीक आधारित समावेशी शिक्षा पर दिए जा रहे विशेष बल की सराहना की और समाज के सभी वर्गों से दिव्यांगजनों के सतत समर्थन और सशक्तिकरण का आह्वान किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने एक विशेष पुस्तक का विमोचन भी किया, जिसमें राष्ट्रपति निकेतन, राष्ट्रपति तपोवन और प्रस्तावित राष्ट्रपति उद्यान की जैव विविधता का संकलन है। इस प्रकाशन में 300 से अधिक देशी पौधों और 170 जीव-जंतुओं की प्रजातियों – जिनमें तितलियाँ, पक्षी और स्तनधारी शामिल हैं – का दस्तावेजीकरण किया गया है।

एक दिन पूर्व, गुरुवार को, राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति निकेतन परिसर में नवनिर्मित एम्फीथिएटर का उद्घाटन भी किया था।

राष्ट्रपति संपदा: प्रकृति, विरासत और समावेश का संगम

देहरादून के राजपुर रोड पर स्थित राष्ट्रपति तपोवन हिमालय की तलहटी में फैला 19 एकड़ का शांत और जैव विविधता से भरपूर विश्राम स्थल है। इसकी स्थापना 1976 में एक राष्ट्रपति विश्रामगृह के रूप में हुई थी। यहां 117 पौधों, 52 तितलियों, 41 पक्षियों और 7 स्तनधारी प्रजातियों का प्राकृतिक वास है, जो इसे पारिस्थितिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।

वहीं, राष्ट्रपति निकेतन, जिसकी विरासत 1838 से जुड़ी है, 21 एकड़ में फैला हुआ एक ऐतिहासिक परिसर है। इसे मूल रूप से गवर्नर जनरल के अंगरक्षकों के ग्रीष्मकालीन शिविर के रूप में बनाया गया था। आज इसमें विरासत भवन, लिली तालाब, बाग-बगिचे और अस्तबल शामिल हैं।

प्रस्तावित राष्ट्रपति उद्यान 132 एकड़ में विकसित किया जाएगा, जिसे नेट-जीरो पब्लिक पार्क के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय जिम्मेदारी, सार्वभौमिक सुगमता और समुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देना है। यह पार्क विकलांगजनों के लिए पूर्णतः सुलभ होगा और कल्याण, संस्कृति व नागरिक सहभागिता का केंद्र बनेगा।

आम जनता के लिए राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन क्रमशः 24 जून और 1 जुलाई से खोले जाएंगे।