चारधाम यात्रा संपन्न, बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद
BADRINATH (CHAMOLI): मंगलवार दोपहर पवित्र बद्रीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थनगरी में ठंड के बावजूद 5,000 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे। दोपहर ठीक 2:56 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाटों को शीतकालीन विराम हेतु बंद किया गया। इस अवसर के साथ ही चारधाम यात्रा का वार्षिक क्रम औपचारिक रूप से सम्पन्न हो गया।
इससे पहले मंदिर परिसर को करीब 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया, जबकि विभिन्न स्थानों से आए दानदाताओं ने श्रद्धालुओं के लिए भंडारे आयोजित किए।
पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के बीच हुआ कपाट बंद करने का कार्यक्रम
माह की शुभ तिथि पर सुबह ब्रह्ममुहूर्त में महाभिषेक पूजा के साथ दिन का शुभारंभ हुआ। इसके बाद भगवान बद्रीविशाल को बाल भोग अर्पित किया गया। भक्तों को लगभग दोपहर 1 बजे तक दर्शन की अनुमति दी गई। इसके बाद 1:30 बजे से कपाट बंद करने की अंतिम प्रक्रिया शुरू हुई।
परंपरा के अनुसार देवी लक्ष्मी की मूर्ति को गर्भगृह में भगवान बदरी नारायण के साथ स्थापित किया गया। भगवान के सखा उद्धव और कुबेर को भी गर्भगृह में लाया गया, जिनमें से कुबेर की प्रतिमा को बाद में रात्रि प्रवास के लिए बामणी गांव ले जाया गया। इससे पूर्व भगवान को माणा महिला मंडल द्वारा तैयार किए गए घी में डूबे विशेष ऊनी कंबल से ढंका गया।
चारधाम यात्रा में इस वर्ष रिकॉर्ड संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष चारधाम यात्रा में 51 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.35 लाख अधिक है।
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केदारनाथ धाम इस वर्ष सबसे अधिक लोकप्रिय रहा, जहां 17.68 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंचे।
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बद्रीनाथ धाम में 16.60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
अब शीतकालीन पूजा और विंटर यात्रा पर सरकार का फोकस
चारधाम यात्रा समाप्त होने के साथ ही सरकार अब विंटर यात्रा को बढ़ावा देने की तैयारी में जुट गई है। शीतकाल में चारधाम के मुख्य देवताओं की पूजा उनके निर्धारित शीतकालीन धामों में की जाती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्षभर चुनौतियाँ रहने के बावजूद इस बार पिछले वर्ष से अधिक श्रद्धालु यात्रा पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।





