ट्रैक्टर की स्टेयरिंग पर धामी: जनता से जुड़ाव ही सच्चे नेतृत्व की पहचान

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हरिद्वार/लिब्बरहेड़ी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार जनपद के लिब्बरहेड़ी गांव में आयोजित भव्य रोड शो और जनसंवाद कार्यक्रम के माध्यम से एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि उनके नेतृत्व की जड़ें जमीन से जुड़ी हैं और उनकी राजनीति का केंद्रबिंदु जनसरोकार है।

मुख्यमंत्री न केवल मंच से लोगों को संबोधित करते नजर आए, बल्कि उन्होंने ट्रैक्टर की स्टेयरिंग संभालकर किसानों के प्रति अपने सम्मान और जुड़ाव को भी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया। इस सादगी भरे लेकिन गहन प्रतीकात्मक क्षण ने मुख्यमंत्री को एक संवेदनशील जननेता के रूप में प्रस्तुत किया।

जब मुख्यमंत्री धामी ने पारंपरिक मंच से उतरकर खुद ट्रैक्टर चलाया, तो यह केवल एक दृश्य नहीं बल्कि एक संदेश था — कि उनका नेतृत्व नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह खुद जमीनी स्तर पर उतरकर आमजन की भागीदारी का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
उन्होंने कहा, “किसान हमारे देश की रीढ़ हैं। जब मैं ट्रैक्टर चलाता हूं, तो यह सिर्फ एक ड्राइव नहीं, बल्कि अन्नदाताओं के कठिन परिश्रम को प्रणाम करने का प्रयास है।”

इस जनसंवाद कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य उत्तराखंड में हाल ही में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) के महत्व को समझाना और जनता से संवाद करना भी था।
मुख्यमंत्री ने कहा, “UCC किसी मजहब या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समानता, पारदर्शिता और न्याय का संवैधानिक आधार है। यह बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के उस सपने को साकार करता है, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले।”

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर राज्य सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख किया, जिनमें किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण, युवाओं के लिए स्टार्टअप योजनाएं, सिंचाई और सड़कों के नेटवर्क का विस्तार, और स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण शामिल है।
उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य केवल विकास करना नहीं है, बल्कि उसे प्रत्येक गांव और हर व्यक्ति तक पहुंचाना है — यही सच्चा समावेशी विकास है।”

लिब्बरहेड़ी की धरती पर मुख्यमंत्री की उपस्थिति एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि जनसहभागिता की मिसाल बन गई। उनकी सादगी, सक्रिय भागीदारी और संवेदनशील संवाद ने उन्हें एक नेता नहीं, बल्कि जनसैनिक के रूप में प्रस्तुत किया।

चाहे वह ट्रैक्टर की सवारी हो या UCC पर खुला संवाद — हर पहलू इस बात की पुष्टि करता है कि उत्तराखंड आज एक ऐसे नेतृत्व की दिशा में अग्रसर है, जो केवल विकास की नहीं, बल्कि विकासशील मूल्यों और संवेदनशीलता की भी नींव रख रहा है।