पिता की मौत के बाद पढ़ाई पर संकट, डीएम ने दिलाया चित्रा को तुरंत दाखिला

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पिता की मृत्यु के बाद आया आर्थिक संकट, जिलाधिकारी ने संभाली ज़िम्मेदारी – चित्रा कालरा को प्रतिष्ठित कॉलेज में दिलाया तत्काल दाखिला

पढ़ाई, आवागमन और किताबों का पूरा खर्च जिला प्रशासन और संस्थान करेगा वहन; ऋण माफी की प्रक्रिया भी शुरू

देहरादून, 18 नवंबर:
पिता के निधन के बाद आई आर्थिक तंगी और भविष्य को लेकर असमंजस में डूबी दो बहनों चित्रा और हेतल ने आज जिलाधिकारी सविन बंसल से मदद की गुहार लगाई। पिता द्वारा लिया गया बैंक ऋण और पढ़ाई के खर्चों के चलते उनकी पढ़ाई व घर दोनों संकट में थे। बहनों की पीड़ा सुनते ही जिलाधिकारी ने मानवता और तत्परता का परिचय देते हुए चित्रा का दाखिला आज ही देहरादून के एक प्रतिष्ठित निजी संस्थान में करवा दिया।

जिलाधिकारी कार्यालय से ही चित्रा को सारथी वाहन के माध्यम से कॉलेज भेजा गया। चित्रा की ट्यूशन फीस, किताबें तथा आवागमन का पूरा खर्च जिला प्रशासन और शिक्षा संस्थान की तरफ से वहन किया जाएगा।

परिवार पर टूटा दुःख का पहाड़ – ऋण और शिक्षा दोनों की चिंता

चित्रा और हेतल ने बताया कि उनके पिता ने एक बैंक से ऋण लिया था, पिता की तबीयत खराब रहने लगी ऋण ने दे पाने, अस्वस्थ होने के कारण उनकी 23 अक्टूबर 2025 को मृत्यु हो गई है।अब बैंक घर की नीलामी की चेतावनी दे रहा है। इस घोर संकट में दोनों बहनों ने जिलाधिकारी से ऋण माफी की भी मांग की।

इस पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने तत्काल उप जिलाधिकारी न्याय एवं एलडीएम को ऋण बीमा संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी कर दिए ताकि ऋण माफी की प्रक्रिया भी जल्द से जल्द आगे बढ़ाई जा सके।


बदली हुई प्रशासनिक कार्यशैली – एक छत के नीचे शिक्षा से लेकर ऋण समाधान तक

यह मामला दर्शाता है कि देहरादून जिला प्रशासन अब नई कार्यशैली के साथ तेज गति और संवेदनशीलता से कार्य कर रहा है। जिलाधिकारी स्वयं ऐसे गंभीर मामलों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और एलएमएस पोर्टल के माध्यम से जनहित से जुड़ी शिकायतों के समयबद्ध निस्तारण की जानकारी लेते हैं।

  • त्वरित कार्रवाई

  • मानवीय दृष्टिकोण

  • एकल विंडो समाधान

इन बदलावों से आम नागरिकों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है और लोग उम्मीद के साथ अपनी समस्याएँ लेकर जिलाधिकारी से मिलने पहुँच रहे हैं।


चित्रा के लिए मिली यह मदद सिर्फ उसका दाखिला भर नहीं है, बल्कि उसके जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है। जिला प्रशासन का यह संवेदनशील रवैया न केवल शिक्षा और स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, बल्कि अन्य जरूरतमंदों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश कर रहा है।