भद्राकाल में होलिका दहन करना माना जाता है अशुभ। पं चमोली से जानिए शुभ मुहूर्त एवं समय।
HOLI 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर किया जाता है। अगले दिन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगो का त्यौहार मनाया जाता है।
इस साल 13 मार्च, बृहस्पतिवार को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन से अगले दिन 14 मार्च को होली, रंगों का त्यौहार मनाया जाएगा।
होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो चुकी है।
पंडित कमलेश्वर प्रसाद चमोली, आचार्य के अनुसार
होलिका दहन: 13 मार्च, दिन गुरुवार
शुभ मुहूर्त:
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रातः 10:50 से रात्रि 10:30 बजे तक पृथ्वी पर भद्रा का निवास रहेगा इस कारण से होलिका दहन भद्राकाल में नहीं किया जा सकता।
होलिका दहन का समय रात्रि 10:45 से मध्यरात्रि 1:30 बजे तक शुभ रहेगा। इस बीच होलिका दहन कर सकते हैं।
आचार्य के अनुसार उत्तराखंड विद्वत सभा के अध्यक्ष आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगांई ने भी यही निर्णय लिया है कि होलिका दहन रात्रि 10:45 के उपरांत ही किया जाए।
क्या है भद्राकाल और क्यों माना जाता है अशुभ ?
इस सवाल के जवाब में आचार्य ने भद्राकाल पर अधिक जानकारी देते हुए कहा कि भद्रा, सूर्य देव की पुत्री एवं शनि देव की बहन है। शनि की वक्र दृष्टि एवं भद्रा का निवास शास्त्रों में अशुभ माना गया है।
होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।