मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2025: जागरूकता से आगे, अब पहुँच और समानता की ज़रूरत

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हर साल 28 मई को मनाया जाने वाला मासिक धर्म स्वच्छता दिवस न केवल जागरूकता फैलाने का एक अवसर है, बल्कि यह उन असमानताओं को उजागर करने का दिन भी है जो आज भी लाखों लड़कियों और महिलाओं को एक सामान्य जैविक प्रक्रिया के कारण झेलनी पड़ती हैं। इस वर्ष की थीम Together for a  #PeriodFriendlyWorld” के तहत दुनिया भर में अधिवक्ता, शिक्षक, नीति निर्माता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ एकजुट होकर मासिक धर्म के प्रति सकारात्मक और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं।

अब भी बनी हुई हैं गहरी खामियाँ

दशकों की वकालत और जागरूकता अभियानों के बावजूद मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाएँ और कलंक आज भी व्यापक हैं। दुनिया के कई हिस्सों में, विशेष रूप से भारत और अन्य विकासशील देशों में, लड़कियों और महिलाओं को अभी भी स्वच्छ सैनिटरी उत्पादों, साफ पानी, निजी शौचालयों और सही जानकारी की उपलब्धता नहीं है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में हर तीन में से एक लड़की मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं जाती – एक ऐसा आँकड़ा जो शिक्षा और आत्मनिर्भरता की राह में गंभीर बाधा बनता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा

प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिवक्ता डॉ. अंजलि मेहता इस मुद्दे को केवल महिलाओं तक सीमित न मानकर इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बताती हैं। उनके अनुसार, “खराब मासिक धर्म स्वच्छता से प्रजनन पथ और मूत्र पथ संक्रमण जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। यह केवल मासिक धर्म की बात नहीं है – यह स्वास्थ्य, गरिमा और अधिकारों की बात है।”

पहलें हो रही हैं, लेकिन काफी नहीं

वॉश यूनाइटेड नामक जर्मन NGO द्वारा 2014 में शुरू किया गया यह दिवस अब एक वैश्विक मंच बन चुका है, जहाँ स्कूलों, समुदायों और सरकारों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम, उत्पाद वितरण, और शिक्षा अभियान चलाए जा रहे हैं। भारत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मासिक धर्म स्वच्छता योजना और विभिन्न राज्यों में फ्री सैनिटरी पैड वितरण जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन पहलों को केवल शहरों तक सीमित न रखकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों तक विस्तारित करना आवश्यक है।

आगे की राह: क्या ज़रूरी है?

मासिक धर्म को लेकर चुप्पी तोड़ने के साथ-साथ अधिवक्ताओं की मांग है कि:

मासिक धर्म उत्पाद कर-मुक्त और सभी के लिए सुलभ हों।

स्कूलों में समावेशी और वैज्ञानिक मासिक धर्म शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।

सार्वजनिक स्थानों और स्कूलों में सुरक्षित और स्वच्छ सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ।

लड़कों और पुरुषों को भी इस संवाद में शामिल किया जाए, ताकि वे संवेदनशील और सहयोगी बन सकें।

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस महज़ एक जागरूकता दिवस नहीं, बल्कि कार्रवाई का आह्वान है। समय आ गया है कि समाज मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाए जहाँ मासिक धर्म न तो शर्म का विषय हो, न ही शिक्षा, स्वास्थ्य या अवसरों में बाधा का कारण।

अब ज़रूरत है एक ऐसी दुनिया की, जो #PeriodFriendly हो — जहाँ मासिक धर्म को समझा जाए, स्वीकार किया जाए और उसका सम्मान किया जाए।