राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रपति निकेतन में फुट ओवर ब्रिज और घुड़सवारी क्षेत्र का किया लोकार्पण

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सुरक्षा, परंपरा और हिमालयी स्थापत्य का संगम बना राष्ट्रपति निकेतन परिसर

राष्ट्रपति निकेतन में आधुनिकता और विरासत का हुआ अद्भुत मेल

 

देहरादून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को देहरादून स्थित राष्ट्रपति निकेतन में दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं — फुट ओवर ब्रिज और घुड़सवारी क्षेत्र — का लोकार्पण किया। इन दोनों परियोजनाओं ने राष्ट्रपति निकेतन परिसर को आधुनिक सुविधाओं, पारंपरिक सौंदर्य और सुरक्षा दृष्टि से और भी समृद्ध बना दिया है।

 

 

राजपुर रोड पर निर्मित 105 फीट लंबा फुट ओवर ब्रिज राष्ट्रपति निकेतन और आगामी राष्ट्रपति उद्यान (132 एकड़ परिसर) के बीच अब निर्बाध संपर्क स्थापित करेगा। यह पुल उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा ₹9 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है और अपनी डिज़ाइन में स्थानीय हिमालयी वास्तुकला की झलक समेटे हुए है।
इसमें रैंप, रेलिंग और पूर्ण सुगम पहुँच (Universal Access) की व्यवस्था की गई है, जिससे सभी आगंतुकों — विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों — के लिए यह सुरक्षित व सुविधाजनक मार्ग प्रदान करता है। व्यस्त राजपुर रोड पर यह पुल अब पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसंरचनात्मक पहल बन गया है।

इसके साथ ही, परिसर में निर्मित 0.7 एकड़ का घुड़सवारी क्षेत्र (Equestrian Zone) राष्ट्रपति के अंगरक्षकों — प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड (PBG) — की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है।
सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) द्वारा विकसित यह अत्याधुनिक क्षेत्र 8 घोड़ों की क्षमता वाले अस्तबल, उपचार कक्ष, स्नान व चारा गृह, तथा आगंतुकों के लिए विशेष देखने गलियारे (Viewing Gallery) से सुसज्जित है। यह क्षेत्र परंपरा और अनुशासन की भावना के साथ-साथ राष्ट्रपति निकेतन की ऐतिहासिक गरिमा को और प्रखर करता है।

इन नई सुविधाओं के लोकार्पण के साथ राष्ट्रपति निकेतन परिसर अब जनता के लिए और अधिक आकर्षक बन गया है।
आम आगंतुकों के लिए यह परिसर सोमवार को छोड़कर प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहेगा
यहाँ आगंतुकों को ‘राष्ट्रपति सर्किट’ के तहत निर्देशित भ्रमण (Guided Tours) की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे वे राष्ट्रपति निकेतन की वास्तुकला, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य को नजदीक से समझ सकेंगे।

राष्ट्रपति निकेतन में इन दो नई परियोजनाओं के उद्घाटन के साथ यह परिसर अब केवल सुरक्षा और संरचना की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि हिमालयी विरासत, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनकर उभरा है।