एनएफडीसी-यूएफडीसी की संयुक्त कार्यशाला में नीतिगत सुधारों और क्षेत्रीय सिनेमा पर केंद्रित मंथन
देहरादून। उत्तराखंड को एक प्रमुख फिल्म निर्माण गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को सहस्त्रधारा रोड स्थित एक होटल में किया गया। यह कार्यशाला नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NFDC) और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद (UFDC) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई, जिसका मुख्य विषय “उत्तराखंड में फिल्मिंग इकोसिस्टम का विकास” था।
कार्यशाला का उद्घाटन UFDC के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की फिल्म निदेशक शिल्पा राव और NFDC के महाप्रबंधक अजय धोके द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
नीतिगत सुधार, अवसंरचना विकास और क्षेत्रीय सिनेमा रहे चर्चा के केंद्र में
इस अवसर पर फिल्म उद्योग के निर्माता, नीति विशेषज्ञ, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और अन्य हितधारक मौजूद रहे। चर्चा का मुख्य केंद्र नीतिगत सुधार, आधुनिक अवसंरचना का विकास और क्षेत्रीय सिनेमा को प्रोत्साहन देना रहा।
UFDC के सीईओ बंशीधर तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भारत सरकार के मार्गदर्शन में उत्तराखंड को फिल्म निर्माण के एक हब के रूप में स्थापित करने के प्रयास लगातार जारी हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की नवीनतम फिल्म नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को मिलने वाली सब्सिडी ₹25 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, कम चर्चित स्थलों पर शूटिंग करने पर कुल लागत का 5% अतिरिक्त प्रोत्साहन और स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता देने पर विशेष सब्सिडी दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में एकल स्क्रीन सिनेमा हॉल की स्थापना हेतु ₹25 लाख की एकमुश्त सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही, फिल्म निर्माताओं के लिए स्थानीय संसाधनों, कलाकारों, उपकरणों और लॉजिस्टिक्स की एकीकृत सूची तैयार की जा रही है।
तिवारी ने जानकारी दी कि एनएफडीसी के सहयोग से उत्तराखंड का अपना फिल्म फेस्टिवल और राज्य स्तरीय फिल्म पुरस्कार शुरू करने की योजना पर गंभीरता से कार्य चल रहा है। साथ ही, क्षेत्रीय फिल्मों को ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर पहुंचाने के लिए प्रसार भारती के WAVES OTT के साथ समन्वय किया जा रहा है। स्थानीय युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यशालाएं नियमित रूप से आयोजित की जाएंगी।
उन्होंने राज्य में फिल्म निर्माण से जुड़ी सभी जानकारियों के लिए एक समर्पित डिजिटल पोर्टल विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
फिल्म मंत्रालय और एनएफडीसी ने दिए राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के विवरण
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की फिल्म निदेशक शिल्पा राव ने भारत को वैश्विक सिनेमा हब बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने ‘वेव्स समिट’ और ‘इंडियन सिने हब’ जैसे मंचों की उपयोगिता बताई, जो फिल्म निर्माताओं को राष्ट्रीय स्तर पर सुविधाएं प्रदान करते हैं। उन्होंने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक स्तर पर फिल्म प्रदर्शन को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता भी बताई।
NFDC के महाप्रबंधक अजय धोके ने संगठन की योजनाओं एवं फिल्म निर्माण को मिलने वाली सहायता पर प्रकाश डाला। इंडिया सिने हब के सहायक उपाध्यक्ष राम कुमार विजयन ने बताया कि पोर्टल पर एकीकृत अनुमतियों और संसाधनों की उपलब्धता निर्माताओं के लिए प्रक्रिया को सरल बनाती है।
UFDC के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय ने उत्तराखंड की नवाचार आधारित फिल्म नीति पर प्रस्तुति दी और बताया कि राज्य का फिल्म निर्माण मॉडल “प्रतिभा, प्रशिक्षण और तकनीक” पर आधारित है। उन्होंने कहा कि स्थानीय कहानीकारों, तकनीशियनों और युवाओं को मंच देना इस नीति का अहम उद्देश्य है।
कार्यशाला के समापन पर आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागी फिल्म निर्माताओं और तकनीकी विशेषज्ञों की जिज्ञासाओं का समाधान NFDC और UFDC के अधिकारियों द्वारा किया गया।
इससे पूर्व, NFDC और UFDC के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें राज्य को फिल्म निर्माण के लिए सशक्त केंद्र बनाने, सिनेमा हॉल के विस्तार, क्षेत्रीय फिल्मों को प्रोत्साहन और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को गति देने पर चर्चा की गई।
कार्यशाला में शिल्पा राव (निदेशक, फिल्म्स), अजय धोके (महाप्रबंधक, एनएफडीसी), आशीष त्रिपाठी (अपर निदेशक, सूचना), श्रुति राजकुमार (उपाध्यक्ष, इंडिया सिने हब), मयूर पटेल (प्रबंधक, फिल्म बाजार), नचिकेत शिरोलकर (सलाहकार, अंतरराष्ट्रीय प्रचार), एवं अभय कुमार (प्रोजेक्ट मैनेजर, यूनिकॉप्स) सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।