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Lord Ram’s idol adorned with ‘Shubhvastram’ अवध में उत्तराखण्ड की संस्कृति की झलक

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अवध में उत्तराखण्ड की संस्कृति की झलक।

राम लला की मूर्ति को उत्तराखंडके ‘शुभ वस्त्रम’ से सजाया गया।

Uttarakhand News:
उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक कलाओं के प्रचार-प्रसार और संरक्षण को राज्य सरकार उच्च प्राथमिकता देने का दावा करती है। सरकार का मानना है कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक कलाओं को न केवल नई पहचान मिल रही है, बल्कि युवा पीढ़ी भी इससे प्रेरित होकर इससे जुड़ रही है।

इसी कड़ी में 23 सितंबर, सोमवार को अयोध्या में विराजमान भगवान राम लला की दिव्य मूर्ति को देवभूमि की विश्व प्रसिद्ध ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम से सुसज्जित किया गया।

राज्य सरकार के अनुसार सोमवार का दिन उत्तराखंडवासियों के लिए गौरव का दिन था, जब अयोध्या में विराजमान रामलला का दिव्य विग्रह देवभूमि की विश्वविख्यात ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम से सुशोभित हुआ।  यह शुभवस्त्रम न केवल उत्तराखंड की पारंपरिक कला और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि इसने राष्ट्रीय पटल पर राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि में एक नया गौरवशाली अध्याय भी जोड़ा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से उत्तराखंड के कुशल कारीगरों द्वारा शुभवस्त्रम तैयार किए गए। मुख्यमंत्री ने स्वयं अयोध्या में राम मंदिर को शुभवस्त्रम भेंट किये।  शुभवस्त्रम में न केवल राज्य की ऐपण कला की झलक दिखती है, बल्कि इसमें निहित भक्ति और श्रम साधकों की अनूठी शिल्पकला का अद्भुत समन्वय भी देखने को मिलता है, जिसने उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि को और अधिक उज्ज्वल बना दिया है।

सरकार का दावा है कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राज्य की लोक कला, संगीत, नृत्य और शिल्प को बढ़ावा देने की दिशा में भी कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी न केवल राज्य के स्थानीय हस्तशिल्पियों और कारीगरों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि राज्य के युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

उत्तराखंड की पारंपरिक कला और संस्कृति की गूंज अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई देने लगी है। उत्तराखंड की लोक कलाओं को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में प्रमुखता से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे राज्य को वैश्विक पहचान और सम्मान मिल रहा है। धामी का मानना ​​है कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक संसाधनों और तकनीकों के साथ संरक्षित और संवर्धित किया जाना चाहिए ताकि यह अमूल्य विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि राज्य का समग्र विकास तभी संभव है, जब इसकी सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हों।